Thursday, 22 September 2011

जब दुविधा में फंसे तो क्या करे




किसी शहर में एक परिवार रहता था , उस परिवार में माता-  िपता और उनके एक पुत्र और पुत्री थे िपता जी ऋषि थे और उनका पुत्र व्यापारी  था  उनकी पुत्री युवा हो गई थी घर में सभी को उसके विवाह की चिंता थी 
ऋषि के एक शिष्य थे जो बड़े हीे ज्ञानी और गुरु भक्त थे ऋषि उनको बहुत प्रेम करते थे , ऋषि ने जब गहनता से सोचा तो उन्हें अपने शिष्य से योग्य और कोई वर न दिखा और उन्होंने अपने शिष्य से भी विवाह की बात चलाई , वह सहर्ष तैयार हो गया इधर ऋषि पुत्र ने अपने मित्र को ही योग्य वर के रूप में देखा और अपनी बहन का रिश्ता पक्का कर दिया 
ऋषि पत्नी भी अपनी पुत्री के लिए चिन्तिते थी एक लड़का जो पड़ोस में रहता था वो अक्सर ऋषि पत्नी के कार्यो में हाथ बटा देता था और किसी भी असुविधा में उनकी निस्वार्थ भाव से सेवा करता था उनको सुयोग्य वर के रूप में वही अछा लगा उन्होंने उससे विवाह की बात चलाई तो वह भी सहर्ष तैयार हो गया , अब सभी वचनों में बंध चुके थे स्थिति बहुत विचित्र थी 
जब यह बात कन्या के सामने आई तो सभी ने कन्या से कहा की जीवन तुम्हारा है , तुम हे निर्णय लो की तुम्हे किस्से विवाह करना है और किस्से नहीं कन्या यह सुनकर अचम्भे में पड़ गई और सोचने लगी यदि मै किसी भी एक को विवाह के लिए स्वीकार करती हूँ तो बाकी मेरे दो परिजनों का वचन भंग होगा जो वह सहन नहीं कर सकती थी अतः उसने अपने प्राण त्यागने का निर्णय लिया ताकि सभी के वचनों की गरिमा बनी रहे जब वह जीवित ही नहीं रहेगी तो वचन का क्या अस्तित्व है और रात में ही उसने आत्महत्या कर ली 
सुबह जब परिजनों ने कन्या का मृत शारीर देखा तो सभी दुःख से भाव विभोर हो उठे उन्होंने कन्या का विदि पूर्वक अंतिम संस्कार किया  उस समय समसान में वे तीनो युवक भी उपस्थित थे और कन्या के लिए दुखी थे परिजन तो अंतिम संस्कार करके चले गए परन्तु वो तीनो वहां रुके रहे और उन्होंने उस कन्या के प्रेम में अपने जीवन को उसी की यादो में बिताने का निर्णय कर लिया 
ऋषी शिष्य शास्त्रों और तंत्र विद्या का ज्ञाता था उसने कहा मै हार नहीं मानूंगा मै इस कन्या को पुनर्जीवित करूँगा , व्यापारी के मित्र ने कहा मै इस कन्या की हड्डियों को अपने पास रखूँगा यही मेरे प्रेम की निशानी होगी और मेरी ओर से इस कन्या को श्रधांजलि होगी  teesra युवक bola मै यही rahunga इसी समसान में और यही जीवन bita doonga , और इस कन्या की भस्म की रक्षा करूँगा और संभाल कर रखूँगा मेरी ओर से यही श्रधांजलि होगी तीनो उस कन्या के विरह में भाव विभोर हो गए थे तीनो ने निश्चय किया हम सभी १ वर्ष के पश्चात आज के ही दिन यहाँ मिलेंगे और अपने प्रेम के अनुभवों को एक दूस्रे से बाटेंगे उनमे से एक समसान में रुक गया बाकी के दो अपने अपने उद्देश्य की ओर निकल पड़े 
              ऋषी शिष्य एक महाज्ञानी और तंत्र के जानकार तांत्रिक से मिला और उनकी सेवा में समर्पित हो गया उनके पास संजीवनी शक्ति वाली विद्या थी जिससे मृत शारीर में प्राण फूके जा सकते थे अपने शिष्य की गुरु भक्ति से वह इतने प्रभावित हुए की वह विद्या उन्होंने उसे भी इखाना प्रारंभ कर दिया और समय बीतने लगा उधर व्यापारी अपने साथ कन्या की अस्थिय लेकर घूमता रहा और अपना कर्म करता रहा और शमसान वाला युवक कन्या की स्मृतिय ह्रदय में लिए उसकी भस्म की रक्षा करता रहा ऐसे होते करते समय बीत गया और एक वर्ष पूर्ण हुआ 
वो दोनों वापस एक वर्ष पश्चात उसी समसान पहुचे और तीनो इकठा हुए ऋषि शिष्य ने कहा मित्रो अब चिंता की कोई बात नहीं मैंने संजीवनी विद्या सीखी है और इसके प्रभाव से मै कन्या को पुनर्जीवित करूँगा आप लोग उसकी अशहियो और भस्म को एक स्थान पर रख दे मै उसे इसी क्षण पुनर्जीवित करता हूँ सभी प्रसन्न हो गए और विधि पूर्वक  उसको जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी अंत में कन्या जीवित हुई और पुनः उसके सामने वही प्रश्न था की कौन होगा उसका वर 
अब कन्या ने निर्णय लिया की जो शमसान में पूरे एक वर्ष तक रहा वह उससे ही विवाह करेगी यह सुनका शमसान वाला तो प्रशन्ना हो गया बाकी दोनों सोच में पड़ गए की आखिर उसने उनको क्यों न चुना जब उन्होंने कन्या से इस निर्णय का कारन पुछा तो उसने उत्तर दिया की आपने मंत्र विद्या द्वारा मुघे जीवन दिया जो िपता का कार्य है इस दृष्टि से आप मेरे िपता हुए जो मेरी अस्थियो को लाये और उनकी रक्षा की ये कार्य पुत्र का है इस दृष्टि से आप मेरे पुत्र के सामान है और जिन्होंने मेरे शारीर की भस्म की रक्षा करते हुए यही निवास किया और मेरे साथ रहे ये कार्य पती का है अतः मैंने इनको ही वरण किया
कन्या के इस उत्तर से सभी संतुष्ट थे क्योकि उसका उत्तर तर्क संगत और धर्म संगत था  
प्रिय मित्रो मेरा उद्देश्य यही है की जब आप किसी ऐसी स्थिति में फस जाए की दुविधा में पड़ जाए तो धर्म पक्ष पर विचार करे जो आपको मार्ग दिखायेगा जीवन की परेशानियों से मुक्ति शारीर का तय करके नहीं मिल सकती क्या पता तब स्थिति और भी भयानक हो जाए और हमारे सामने उस दुःख को भोगने के शीवाय कोई दूसरा चारा ना हो 
अतः जीवन के खट्टे मीठे अनुभवों का आनंद लेते हुए जियो , प्रेम करो सभी से जो तुम्हे प्रेम करते है और अगर नहीं करते तो जरूर करने लगेंगे --------हरी ॐ तत्सत 


Monday, 5 September 2011

GURU BHAKTA SIKANDAR

 
भारत ही नहीं वरन संसार के महान योधा और विद्वान् जिनका नाम इतिहास में स्रेस्ठता को प्राप्त किये हुए है उन सभी ने अपने गुरु के निर्देशानुसार कार्य करके अपने जीवन को सार्थक बनाया। यही कारण है की गुरु का स्थान इश्वर से भी ऊचा है  गुरु वही नहीं है जिससे हम गुरु मंत्र ले अपितु गुरु वो है जिससे हमने एक अक्षर भी ज्ञान प्राप्त किया हो जब हम इस संसार में अपनी आँखे खोलते हैं तो हमारे सामने संसार की पहली गुरु माँ जिसने हमे जीवन दिया उसको पाते है , माँ हमे जीवन के आधार और रीति रिवाजो से परिचित करवाती है जिसपर हम चलकर अपने जीवन को और अपने समाज को धन्य बनाते हैं हमेशा याद रखिये गुरुजन जो भी कहते या करते है उसमे कोई न कोई गूढ़ अर्थ अवश्य छुपा होता है अतः उनपर संदेह ना करके शान्ति से उनके तथ्यों पर विचार करना चाहिए यही नीति है और गुरु शिष्य मर्यादा है 
      आज मै आप लोगो के समक्ष एक ऐसी कहानी रखता हूँ  जो एक ऐसे शासक पर आधारित है जिसकी शक्ति का लोहा संसार ने माना है। और उसके नाम के बाद महान लगाकर गौरान्वित किया है
सिकंदर ग्रीक देश का राजा था अपने देश की सीमओं और अपने लोगो के लिए उसने संसार के सभी देशो को जीतने के लिए विश्वविजय अभियान चलाया था जब तक वह जीवित रहा उसे कभी भी हार का मुख  नहीं देखना पडा इसका मुख्या  कारण उसका अपने गुरु पर अटल विश्वास था 
एक बार की बात है सिकंदर के गुरु ने सिकंदर से कहा बेटा कभी भी सत्रर के चक्कर में ना पड़ना संसार की सबसे जटिल समस्याओं में इसका नाम शामिल है सदा याद रखो की जब तुम स्त्री के आधीन हो जाओगे और उसके रूप रंग में रत होगे तुम्हारी शारी शक्ति और वीरता उस समय समाप्त हो जायेगी और एक साधारण सा व्यक्ति भी तुमसे अधिक शक्तिशाली प्रतीत होगा सिकंदर ने कहा गुरु जी एक स्त्री जो अबला कहलाती है जिसका कार्य पति  की सेवा और बच्चो  का पालन पोषण होता है भला वह इतनी शक्तिशाली कैसे हो सकती है की मु जैसे महायोधा को परास्त कर सके
सिकंदर गुरु की बात से अचंभित और शशंकित था गुरु ने उसके मन की बात को भाप लिया और कहा सिकंदर कल सुबह मेरे घर पर आना मै तुमको ये बात सिद्ध करके बता दूंगा 
अगले दिन सुबह जब सिकंदर गुरु जी के घर पंहुचा तो वह देखा की गुरु जी की पीठ पर एक औरत बैठी हुई है और गुरु जी उसको लेकर चल रहे है यह द्रश्य देखकर सिकंदर लज्जा और क्रोध से भर उठा और वापस अपने महल में चला आया बाद में जब गुरु जी महल पहुचे तो कहा सिकंदर तुम मेरे घर क्यों नहीं आये इस पर सिकंदर ने कहा गुरु जी आज मुको आप की वजह से बड़ी लज्जा आ रही है की आप मेरे गुरु होकर इतने असमर्थ थे की आज एक स्त्री आप की सवारी कर रही थी अगर आप उस दुष्टा से निपटने में समर्थ नहीं थे तो मुघसे हे कह दिया होता एक हे वार में मै उसको समाप्त कर देता 
सिकंदर की इस बात पर गुरु जी ने कहा सिकंदर मैंने तुम्हे यही सब तो दिखाने के लिए बुलाया था जिस स्त्री को तुम मारने की बात कर रहे हो वह मेरी पत्नी है मै उसके सामने विवास हूँ अब जरा सोचो जो स्त्री तुम्हारे गुरु को घोड़ा बन्ने पर विवश कर सकती है तो तुम्हारा क्या करेगी यह जानकार सिकंदर की आंखे खुल गई उसने तुरंत अपने गुरु  जी से क्षमा मांगी और जीवन भर सफलता ने उसके कदम चूमे और सिकंदर महान कहलाया 
 

Saturday, 3 September 2011

HORA ( SABHI KARY HETU UTTAM)


HUM SABHI KARYO KE KARNEY SE PEHLEY SHUBH-ASHUBH CHINTAN AVASHYA KARTEY HAI. HAR SAMAY HUMARE PAAS IN JAANKARIYO HETU SAAMAGRI BHI NAHI HOTI. AISE SAY ME AAP HORA MUHURT JO ASANI SE AAP SWAYAM CALCULATE KAR SAKTE HAI AUR POORE DIN KE SAMAY ME SE APNEY KARYO HETU UPAYUKT SAMAY KO CHUN KAR USE ANUSAR KARYA KAR SAKTE HAIN.

VAAR AUR HORA KA PRABHAV 
JAISA KI AAP SABHI JANTE HAIN KI SAPTAAH ME SAAT VAAR HOTE HAIN.IN SABHI KE SWAMI GRAH ALAG-ALAG HOTE HAIN AUR UNHI KE ANUSAAR IN VAARO KO "KROOR" AUR "SAUMYA" KEHTE HAIN .
SADHARAN ROOP SE KROOR VARO ME KOI KARYA NAHI KARNA CHAHIYE . SAUMYA VAAR SABHI KARYO HETU UTAAM HAIN.
KROOR AUR SAUMYA VAAR AUR UNKE LAKSHIT KARYA NIMNANKIT HAIN 

 SUNDAY-------------------RAJYA SEVA HETU UTTAM-----------------KROOR VAAR
MONDAY-------------------SABHI KARYO HETU UTTAM---------------SAUMYA VAAR 
TUESDAY------------------VAAD VIVAD AUR MUKADME-------------KROOR VAAR
WEDNESDAY------------GYAAN ARJAN HETU UTTAM--------------SAUMYA VAAR 
THURSDAY---------------VIVAAH HETU UTTAM------------------------SAUMYA VAAR
FRIDAY--------------------YATRA HETU UTTAM--------------------------SAUMYA VAAR
SATURDAY --------------DHANOPAARJAN HETU UTTAM----------KROOR VAAR

HORA GYAT KARNEY KI VIDHI  

 HORA GYAT KARNEY KE LIYE UPER DIYE GAYE CHITRA KE ANUSAAR GRAHO KO SUNIYOJIT KARTEY HAI. HORA MUHURT KI SHURUVAAT SOORYA UDAY SE HOTI HAI. PRATYEK HORA EK GHANTE KA HOTA HAI. IS PRAKAAR HORA MUHURT 24 GHANTE TAK GYAT KI JA SAKTI HAI.
JIS DIN KI HORA GYAT KARNI HO US VAAR SE MUHURT SHURU HOGI AUR 1 GHANTE TAK WAHI MUHURT CHALEGI . USKE BAAD AGLE GHANTE KE LIYE CHITRA KE ANUSAAR ANDAR SE BAAHAR KI ORE GRAHO KO KRAM SE LAGATE HUE CHALENGEY.
           HORA SAARANI 

(1) SUNDAY KA HORA 

 RAVI--SHUKRA--BUDDHA--CHANDRA--SHANI--GURU--MANGAL--RAVI

(2) MONDAY KA HORA 

 CHANDRA--SHANI--GURU--MANGAL--RAVI--SHUKRA--BUDDHA--CHANDRA 

(3) TUESDAY KA HORA 

MANGAL--RAVI--SHUKRA--BUDDHA--CHANDRA--SHANI--GURU--MANGAL 

UKTA SAARANI KE ANUSAAR HE HUM HORA MUHURT GYAT KARTEY HAIN 

SHIV SIDDHAM 
 

Wednesday, 31 August 2011

SAMPOORNA PANCHANG

 

YE SANSAAR SAMAY KE ANUSAAR CHALTA HAI. LOGON KE JEEVAN ME SHUBH ASHUBH SABHI PRAKAAR KE SAMAY KA AAWAGAMAN HOTA HE REHTA HAI. YE STHITIYAN MANAV JEEVAN PER APNA GEHRA PRABHAV DALTI HAIN. HAR VYAKTI CHAHATA HAI KI APNA KARYA KISI SHUBH SAMAY ME KARE AUR ASHUBHTA SE BACH SAKE. BUS ISI VISHAY PER AADHARIT HAI YE MERA AJ KA LEKH. 
      AAJ MAI AAP KO BATAUNGA PANCHANG KEHTE KISE HAIN AUR ISKE ANG KAUN KAUN SE HAI JINKE MALE SE PANCHANG BANTA HAI.


PANCHANG AUR USKE MOOLBHOOT ANG

 PANCHANG KA NIRMAN VAIDIK KAAL ME HUA. ARYABHATTA , VARAHMIHIR AUR BHASKAR JAISE  MAHAAN JYOTISHI AUR GYANI PANDITON NE PANCHANG KO VIKSIT KIYA. PANCHANG KI SABHI GADNAYE SURYA SIDDHANT PER AADHARIT HOTI HAIN. 
PANCHANG KE ANG NIMNVAT HAIN
                
(1)TITHI (2)VAAR (3)NAKSHATRA (4)YOG (5)KARAN 

INHI PAANCH ANGO KO MILAKAR ISKA NAAM PANCHANG PADA . HUM INHI PAANCHO KI GADNA SE DIN KE SHUBH AUR ASUBH SAMAY KO JAANKAR USKE ANUSAAR KARYON KO KARTEY HAIN AUR BAAKI TO SUB PRABHU KI ICHCHHA.


(A) HINDI MAAH-HINDU PANCHANG KO BARAH CHANDRA MAASHO KE AADHAAR PER VARNIT KARTEY HAI .
HINDI MAAHO KE NAAM NIMNVAT HAI

(1)CHAITRA  (2)BAISAAKH  (3)JYESTHA  (4)ASAADH  (5)SHRAAVAN  (6)BHAADRAPAD (7)ASHVIN (8)KAARTIK  (9)MAARGSHEERSHA  (10)PAUSHA  (11)MAAGHA (12)FAALGUN 

(B) TITHIYAN-CHANDRA MAAS ME KUL 30 TITHIYAN HOTI HAI JISME 15 TITHIYAN SHUKLA PAKSHA KI AUR 15 TITHIYAN KRISHNA PAKSHA KI HOTI HAIN.
TITHIYAN KE NAAM NIMNVAT HAIN

(1)PRATIPADAA  (2)DWITIYA  (3)TRITIYA (4)CHTURTHI  (5)PANCHAMI (6)SHASTHI  (7)SAPTAMI  (8)ASHTAMI  (9)NAVAMI  (10)DASHMI  (11)EKADASHI  (12)DWADASHI  (13)TRYODASHI  (14)CHATURDASHI (15)POORNIMA (30)AMAVASHYA 

NOTE- JAB HUM TITHIYO KI GINTI KARTEY HAIN TO YAAD RAKHTE HAIN KI INKI GINTI KI SHURUVAAT SHUKLA PAKSHA KI PRATIPADA SE KI JAATI HAI. POORNIMA KO PANDRAHAVI AUR AMAVASHYA KO TEESWI TITHI KEHTE HAIN. 
JIS DIN SOORYA AUR CHANDRAMA ME 180 ANSH KA ANTAR(DOORI) HOTI HAI US TITHI KO POORNIMA TITHI KEHTE HAIN. IS TITHI KO SOORYA VA CHANDRAMA AAMNE SAAMNE HOTE HAIN. ISKE VIPREET JAB SOORYA AUR CHANDRAMA ME SHOONYA ANSH KA ANTAR(DOORI) HOTI HAI US TITHI KO AMAVASHYA KEHTE HAIN. IS TITHI ME SOORYA AUR CHANDRAMA EK HE STHAAN PER HOTE HAIN.  

(C) NAKSHATRA-  JYOTISH SHASTRA ME 27 NAKSHATRA HAIN. 360 ANSH KE BHACHAKRA KO 27 BHAGO ME VIBHAKT KARNEY PER PRATYEK BHAAG KA MAAN 13-20 ANSH AATA HAI. EK NAKSHATRA SAMANYATA 24 GHANTE TAK REHTA HAI. PARANTU KABHI-KABHI 13-20 ANSH PAAR KARNEY ME NAKSHATRA 24 GHANTE SE KAM YA ADHIK SAMAY BHI LE LETA HAI. CHANDRAMA KO JO SAMAY 13-20 ANSH PAAR KARNEY ME LAGTA HAI USE NAKSHATRA KEHTE HAI. SAVA DO NAKSHATRO KI EK CHANDRA RAASHI HOTI HAI.
PRATYEK NAKSHATRA KO CHAAR CHARNO ME VIBHAJIT KIYA GAYA HAI. KUL 27 NAKSHATRO ME 6 NAKSHATRA GANDMOOL KE HOTE HAIN. GRAHO KI SANKHYA 9 HOTI HAI AUR PRATEYEK GRAH 3 NAKSHATRO KA SWAMI HOTA HAI. 
NAKSHATRO KE NAAM NIMNVAT HAIN

(1) KRITIKA  (2)UTTAR FALGUNI  (3)UTTARASHADHA  (4)ROHINI  (5)HASTA (6) SHRAVANA  (7)MRUGSHIRA  (8)CHITRAA  (9)DHANISTHAA  (10)ASHLESHAA (11) JYESTHAAA  (12)REVATI  (13)PUNARVASU  (14)VISHAKHA  (15)POORVA BHAADRAPAD  (16)BHARANI  (17)POORVA FALGUNI  (18)POORVASHADHA  (19)PUSHYA  (20)ANURADHA  (21)UTTARA BHAADRAPAD  (22)AARDRAA  (23)SWAATI  (24)SATBHISHA  (25)ASHWINI   (26)MAGHA   (27)MOOL 

(D) YOG- JAB SOORYA AUR CHANDRAMA KI GATI ME 13-20 ANSH KA ANTAR HOTA HAI TO EK YOG BANTA HAI. YOG SANKHYA ME KUL 27 HOTE HAIN. YOG SHUBH BHI HOTE HAIN AUR ASHUBH BHI.
YOGON KI AAVASHYAKTA YATRA,MUHURT AADI KARYON ME PADTI HAI.
YOGON KE NAAM NIMNVAT HAIN

(1)VISHKUMBHA  (2)PREETI  (3)AAYUSHMAAN  (4)SAUBHAGYA  (5)SHOBHAN  (6)ATIGAND  (7)SUKARMA  (8)GHRITI  (9)SHOOL  (10)GAND  (11)VRIDHI  (12)DHRUV  (13)VYAGHAAT  (14)HARSHAN  (15)VAJRA  (16)SIDDHI  (17)VYATIPAAT  (18)VARIYAAN  (19)PARIDHI  (20)SHIV  (21)SIDDHA  (22)SAADHYA  (23)SHUBH  (24)SHUKLA  (25)BRAHMA  (26)AINDRA  (27)VAIDHRITI   

(E) KARAN- JYOTISH SIDDHANT KE ANUSAAR EK YOG DO KARAN KE MALE SE BANTA HAI. EK KARAN AADHE YOG SE BANTA HAI. KARAN KI SANKHYA MOOLTAH 11 HOTI HAI.
KARANO KE NAAM NIMNVAT HAI

(1)BAV  (2)BALAV  (3)KAULAV  (4)TAITIL  (5)GAR  (6)VANIJ  (7)VRISHTI  (8)SHAKUNI  (9)CHATUSPAD  (10)NAAG  (11)KINSTUGHAN 

(F) VAAR- JAB HUM VAAR KI BAAT KARTEY HAIN. TO SPASHTA HAI KI HAR SAPTAAH ME SAAT VAAR HOTE HAIN.
VAARON KE NAAM NIMNVAT HAIN

(1)RAVIVAAR  (2)SOMVAAR  (3)MANGALWAAR  (4)BUDDHAVAAR  (5)GURUVAAR  (6)SHUKRAVAAR  (7)SHANIVAAR 
 
 
 

Monday, 29 August 2011

SHIV MAHATVA


DHARM SHASTRO ME BHAGWAAN SHIV KO JAGATPITA KAHA GAYA HAI KYONKI BHAGWAAN SHIV SARVVYAAPI AUR POORNA BRAHMA HAI. HINDU SANSKRITI ME SHIV KO SABHI JEEVON KE KALYAN KA PRATEEK MAANA JAATA HAI. SHIVA SHABD DHYAN AUR UCHHARAN MAATRA SE MANUSHYA KO PARAM ANAND PRADAAN KARTA HAI. BHAGWAAN SHIV BHARTIYA SANSKRITI KO DARSHAN GYAN KE DWARA SANJEEVANI PRADAAN KARNEY WALE DEV HAIN. YAHI KAARAN HAI KI BHARTIYA DHARM SADHNA ME NIRAKAAR ROOP ME HOTE HUE BHI  SAAKAAR ROOP ME SHIVLING KI POOJA HOTI HAI. DESH-VIDESH ME BHAGWAAN SHIV KE MANDIR HAR CHOTE-BADE SAHARO ME MAOJOOD HAIN JO BHAGWAAN MAHADEV KI VYAPAKTA AUR UNKE BHAKTO KI AASTHA KO PRAKAT KARTE HAIN. 
        BHAGWAAN SHIV HE MAATRA AISE DEV HAIN JINHE HUM BHOLE BHANDAARI KEHTE HAIN KYONKI YE THODI SE HE POOJA ARCHANA SE HE PRASHANNA HO JAATE HAIN. MANAV JAATI KI UTPATTI BHI BHAGWAAN SHIV SE HE MAANI JAATI HAI . ATAH BHAGWAAN SHIV KE SWAROOP KO JAANNA BHI PRATYEK SHIV BHAKT KE LIYE PARAM AVASHYAK HAI. SAMUDRA MANTHAN KE SAMAY ANEK RATNA AUR DIVYA JEEVO KA PRAKATYA HUA JINPER DEVTA AUR ASUR SABHI APNA APNA ADHIKAAR JATANE LAGE KINTU JAB TRILOK KO BHASMA KARNEY KI SHAKTI RAKHNE WALA HALA HAL VISH NIKLA TO SWAYAM BHAGWAAN SHIV NE USE GRAHAN KARKE SABHI PRANI MAATRA KI RAKSHA KI AISE ASHUTOSH HAI NEELKANTH BHAGWAAN. 
          BHAGWAAN SHIV KA SATO GUN,TAPO GUN AUR TAMO GUN TEENO PAR SAMAN ADHIKAAR HAI. SHIV NE APNE MASTAK PER CHANDRAMA KO DHARAN KIYA HAI AUR CHANDRA SHEKHAR KEHLAYE.  CHANDRAMA SE VISHESH SNEH HONE KE KAARAN CHANDRA SOMVAAR KE ADHIPATI HAIN ISLIYE SHIV KA PRIYA VAAR SOMVAAR HAI. SHIV POOJAN KE LIYE ISDIN KA VISHESH MAHATVA HAI IS DIN SHIVLING KI POOJA ARCHNA SE VISHESH SHIV KRIPA PRAPT HOTI HAI.
SABHI SOMVAAR SHIV KO PRIYA HAIN PARANTU SHRAVAN MAAS ME KIYE GAYE VRAT AUR POOJAN KA PHAL POORE VARSH KIYE GAYE POOJAN KE BARABAR HOTA HAI ATAH SHIV POOJAN HETU SHRAVAN MAASH KA VISHESH MAHATVA HAI. 
          SHRAVAN MAAS SIV KO ADHIK PRIYA HONE KA KARAN  VATAVARAN ME JALTATVA KI ADHIKTA HOTI HAI AUR CHANDRA JALTATVA KA ADHIPATI GRAH HAI JO SHIV KE MASTAK PER SUSHOBHIT HAI.
          SHIV UPASANA KE VIBHINNA ROOP VEDO ME VARNIT HAI. SHIV UASANA ME BHAGWAAN SHIV KE PANCAHKSHRI "NAMAH SHIVAY" SHADAKSHARI "OM NAMAH SHIVAY" AUR MAHAMRITUNJAY MANTRA KA VISHESH SHRAVAN MAAS ME  VISHESH MAHATVA HAI . SHRAVAN MAAS ME KIYE GAYE MANTRA JAAP KAI GUNA SHAKTISHAALI SIDDHA HOTE HUE DEKHE GAYE HAI. JAHA SHIV KE PANCHAKSHARI MANTRA SE SADHAK KO SAMAST BHAUTIK SHUKH SUVIDHAON KI PRAPTI HOTI HAI WAHI MAHAMRITUNJAY MANTRA SE SADHAK KO AKAAL MRITU ROG DARIDRATA SE MUKTI  AUR DEERGHAYU KI PRAPTI HOTI HAI. MAHA MRITUNJAY MANTRA, RUDRABHISHEKE AADI KA SAAMUHIK ANUSTHAAN KARNEY SE MAHAMAARI, ATIVRISHTI , ANAVRISHTI AADI SE RAKSHA HOTI HAI AVAM ANYA SABHI PRAKAAR KE UPADRAVO SE SHANTI HOTI HAI.

NOTE-  MANTRA ISHWAR ARADHNA KE SETU HAI INKA UCCHARAN SAHI HONA CHAHIYE KYOKI AGAR SETU HE KAMJOR HAI TO LAKSHYA KAISE PRAPT HOGA. SAHI UCCHARAN KE LIYE AAP IN MANTRO KO YOUTUBE PER SEARCH KARKE PEHLE SAHI UCCHARAN KI PRACTICE KIJIYE TATPASCHAAT INKA PRAYOG POORE AATMAVISHWAAS AUR SHRADDHA BHAAV SE KIJIYE.
                                     SHIV SIDDHAM 
          

Saturday, 27 August 2011

AAP KA VYAKTITVA DIN-RAAT KE ANUSAAR


YE DHARTI HAMARI MATA HAI. HUM SABHI NE ISI PAR JANMA LIYA HAI LAKIN HUM ME SE HE KOI DEV HAI AUR KOI DANAV. ISKA EK KARAN HAMARE JANMA KA SAMAY BHI HAI. HAR SAMAY EK JAISA NAHI HOTA. KABHI SUKH HOTA HAI TO KABHI DUKH. THEEK ISI PRAKAR DIN AUR RAAT KA BHI HAMARE JEEVAN PER GEHRA PRABHAV PADTA HAI. SAMAY KE ANUSAAR HE HAMARA NATURE HOTA HAI.

DIN ME JANMA

JYOTISH SIDDHANT KE ANUSAAR JIS VYAKTI KA JANMA DIN KE SAMAY HOTA HAI US VYAKTI KA SWABHAV DHARMIK AUR ISHWAR ME AASTHA AUR VISHWAAS RAKHNE WALA HOTA HAI. SAMAJIK KARYON ME BHAAG LENE WALA PUNYATMA HOTA HAI. APNE JEEVAN ME HAR PRAKAAR KI SUKH SUVIDHA KI IKSHA RAKHTA HAI AUR USE PAANE ME PRAYATNARUT REHTA HAI.  MITRO ME BAHUT LOKPRIYA HOTE HAIN AUR BUDDHISTAR UCCHAKOTI KA HOTA HAI. SHARIR KI BANAVAT AKARSHAK AUR RANG UJJAVAL AUR SUNDER HOTA HAI.

RAAT ME JANMA 

JYOTISH SIDDHANT KE ANUSAAR RAAT ME JANMA LENE WALE VYAKTI SWABHAV AUR VYAVHAAR ME KAM BOLNE WALE HOTE HAIN. UNHE CHUP REHNA JYADA PASAND HOTA HAI. VYAKTI THODE KAAMI HOTE HAIN VIPREET LING KE PRATI GHUKAV THODA ADHIK HOTA HAI. VYAKTI CHAALAAK AUR APNA MATLAB NIKALNE ME NIPUN HOTE HAIN. INKE SHRIR ME KOI NA KOI KASHTA BANA HE REHTA HAI. VYAKTI KA KARYA CHUP-CHUPAKAR KARNEY WALA HOTA HAI YE BAHUT SE KARYA BINA KISI KO BATAYE HUE HE KARTE HAIN. INSE BHEETAR KI BAAT JAAN PAANA ASAAN NAHI HOTA.


NOTE- VYAKTI KE SWABHAAV KO POORI TARAH SE JAANNE KE LIYE USKI JANMA RASHI NKSHATRA  AUR GRAHO PER BHI VICHAAR KARNA CHAHIYE.

          SHIV SIDDHAM 

Friday, 26 August 2011

PARAM BHAKTA RAJA ANAAMI

HAMARA DESH GYAN KA SAGAR AUR SONE KI CHIDIYA KAHA JAATA RAHA HAI ISKA MUKHYA KARAN YAHA KI SAMPADA,AACHAAR VICHAAR AUR SANSKRITI RAHI HAI.YE DHARTI MAHAPURUSHO KI DAROHAR HAI.YAHI UNHONE JANMA LIYA AUR SABHI KE SAAMNE ADARSH PRASTUT KIYA LAKIN AAJ HUM SABHI UN ADARSHO KO BHOOLTE JAA RAHE HAIN.             
MAI AAJ YAHA BHAGWAN KE PARAM BHAKTA RAJA ANAAMI KE BAARE ME CHARCHA KARNEY JAA RAHA HU JINHONE  SAMAAJ KE SAAMNE BHAKTI KI EK NAI MISAAL KAAYAM KI. 
        EK BAHUT HE DHARMATMA RAJA BHAGWAN KA PARAM BHAKTA THA. USNE AAJEEVAN DHARMPOORVAK RAAJYA KIYA AUR YATHAKAAL MRITU KO PRAPTA HUA. PUNYAATMA HONE PAR BHI KISI EK PAAP KE PHAL BHUGTAAN KE LIYE YAMDOOT USE NARAKMARG SE LE GAYE. NARAK KA DARSHAN KARKE HE RAJA KA DIL DAHAL GAYA. WAHA KE PEEDIT PRANIYON KA KARUN SWAR USSE SUNA NAHI JAATA THA. VAHAN KA DRISHYA DEKHKAR JYOHI VAH NARAK SEVAKO KE SAATH JAANE LAGA TYOHI NARAK KI PEEDA SE PEEDIT NARAK WAASI BADI JOR SE CHILLAKAR KEHNE LAGE KI HEY RAAJAN AAP GHADI BHAR TO YAHAN AUR RUK JAAYIYE AAP KE ANGO SE SPARSH KARKE AANE WAALI  VAYU SE HAMARI PEEDA EK DUM SHANT HO JAA RAHI HAI AUR HUM PAR MAANO ANAND KI VARSHA HO RAHI HAI DAYA KIJIYE.
 RAJA NE YAH SUNKAR YAMDOOTO SE POOCHA " MERE YAHAN REHNE SE INLOGO KO SUKH KI ANUBHOOTI KYON HO RAHI HAI MAINE AISA KAUN SA KARYA KIYA HAI " YAMDOOTO NE UTTAR DIYA HEY MAHARAJ AAPNE PITRA,ATITHI,DEVTA AUR AASRITO KA BHARAN POSHAN PEHLE KARKE USKE BAAD BACHE HUE DRAVYA SE APNA BHARAN POSHAN KIYA HAI AUR SADA HE HARI NAAM KA SMARAN KARTE HUA DHARM KARM SE PRAJA KI SEVA KI HAI ISILIYE AAP KE SHARIR KO CHOOKAR AANE WALI SHEETAL VAYU SE INLOGO KI NARAK PEEDA SAMAPT HO JA RAHI HAI AUR INHE ANAND KI ANUBHOOTI HO RAHI HAI. AAPKE TEJ AUR AAPKE DARSHAN SE PAAPIYO KO PEEDA PAHUCHANE WALE YAMRAJ KE ASTRA-SHASTA,TEEKSNA CHONCH WALE PAKSHI, NARKAGNI ADI SHABH NISTEJ HOKAR SHAANT HO GAYE HAIN. ISLIYE NARAKWASI PAAPIYON KO ITNA SHUKH MIL RAHA HAI. 
YAH SUNKA RAJA NE KAHA INKE SUKH KO DEKHKAR MUGHE BHI BADA SUKH MIL RAHA HAI MERI AISI MAANYATA HAI KI DUKHIT PRANIYO KE DUKH DOOR KARNEY ME JO SUKH HAI WAH SWARG LOK AUR BRAHMA LOK ME BHI NAHI HAI.  YADI MERE YAHA REHNE SE INKI PEEDA DOOR HOTI HAI TO HEY DOOTO MAI PATHAR KI TARAH ACHAL HOKAR YAHI RAHUNGA. DOOTO NE KHA HEY RAAJAN YEH TO PAAPIYO KE REHNE KA STHAAN NARAK HAI APP YAHA KYO RAHENG. CHALIYE AUR PUNYA LOKO ME JAAKAR APNE PUNYO KE PHAL KA BHOG KIJIYE.
RAJA NE KAHA JAB TAK IN DUKHIT PRANIYON KA DUKHO SE CHUTKAARA NAHI HOGA TABTAK MAI YAHA SE NAHI HATUNGA. KYONKI MERE YAHA REHNE PAR INHE SUKH MIL RAHA HAI. APNI SHRAN ME AAYE HUA SHATRU PAR BHI JO MANUSHYA ANUGRAH NAHI KARTA USKE JEEVAN PER DHIKKAR HAI. DUKHIYON KA DUKH DOOR KARNEY ME JISKA MANN NAHI HAI USKA YAGYA DAAN TAP AADI SABHI KUCH LOK AUR PARLOK ME VYARTH HO JATA HAI. BAALAK, SHARNAGAT AUR VRADHON KE LIYE JISKA CHITT KATHOR HAI MERI DRISHTI ME WO MANUSHYA NAHI RAAKSHAS HAI. IN PRANIYO KE PAAS RHNE SE BHALE HE MUGHE NARKIYA AGNI KE TAAP AUR BHOOKH PYAAS SE BESUDH KAR DENE WAALA DUKH KYON NAA GHELNA PADE INKO SUKHI KARNY KE LIYE MAI WAH DUKH BHI SAH KAR SWARK SE ADHIK SUKH MAHSOOS KARUNGA. MUGH EK KE DUKH PAANE SE YADI ITNO KO SUKH MILTA HAI TO MUGHE ISSE BADHKAR KYA LAABH HOGA.
        YAMDOOTO NE KAHA MAHARAAJ DEKHIYE YE SAAKSHAAT DHARM AUR DEVRAAJ INDRA AAP KO LE JAANE KE LIYE YAHA AAYE HAIN AB AAP KO JAANA HE PADEGA.  ATAH PADHAARIYE. DHARM NE KAHA RAAJAN AAP NE SAMYAK PRAKAR SE MERI UPASANA KI HAI ISLIYE MAI YAHA SE AAP KO SWAYAM SWARG ME LE JAUNGA. AAP DAR NAA KARE VIMAAN PAR JALDI SAWAAR HO. RAJA NE KAHA DHARMRAAJ MERE YAHA REHNE SE HAZARO PRANI SUKH PAA RAHE HAI ATAH MAI YAHA SE NAHI JAUNGA. INDRA NE KAHA RAAJAN APNEY-APNEY KARMO KE ANUSAAR YE PAAPI LOG NARAK BHOG RAHAE HAIN AAP KO BHI PUNYO KA PHAL BHOGNE KE LIYE SWARG CHALNA CHAHIYE. IN NARAK VAASIYO PAR DAYA KARNEY KE PHAL SWAROOP AAP KA PUNYAPHAL AUR BHI LAAKHO GUNA BADH GAYA HAI. ATAH AAP APNEY PUNYO KE PHAL KE LIYE SWARG AVASHYA CHALIYE. RAJA NE KAHA JAB MERE PUNYA SE IN NARAK VASIYO KO ITNA SUKH MILTA HAI TO MAI APNA SAARA PUNYA INKO DETA HOON TAAKI YE SABHI NARAK SE MUKT HO JAAYE. MAI YAHI RAHUNGA . INDRA NE KAHA MAHARAAJ DEKHIYE AAPKE PUNYADAAN SE SAARE NARAK VAASI NARAK SE CHOTKAR APNEY APNEY VIMAANO PAR BAITHKAR SWARG JAA RAHE HAIN. PAR IS PUNYADAAN SE AAPKA PUNYA ITNA BADH GAYA HAI KI AAP AUR BHI OOCHI GATI ME JAAYENGE. 
      RAAJA PAR PUSHPA VRISHTI HONE LAGI AUR INDRA UNHE VIMAAN PAR BAITHKAR SWARG LE GAE. NARAK KE SAARE PRANIYO KA UDHAAR HO GAYA. 

 SHIV SIDDHAM